छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022
रूठे मन से क्या गाएँ
सब जन हुए दुखी, हंसी कैसे अब आए।
सबके हृदय बसी,उदासी ये कब जाए।।
कोरोना का आगमन, उदासी के मेघ लाए।
कारोबार हुऐ ठप, बेरोजगारी न भाए।।
भविष्य चौपट हुआ, अंधकार जब छाए।
हाथ मोबाइल लगा, भूले सब अब हाए।।
खाना पीना हंसी खुशी, बिसरे हैं सब काज।
खेल कूद सब छूटा, रूठे मन से क्या गाएँ।।
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कविता झा'काव्या कवि'
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# लेखनी हिंदी दिवस
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Sep-2022 06:32 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Kavita Jha
25-Sep-2022 07:14 PM
आभार आदरणीय 🙏
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आँचल सोनी 'हिया'
21-Sep-2022 12:14 AM
Achha likha hai
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Raziya bano
20-Sep-2022 09:05 PM
Nice
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