Kavita Jha

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छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022

रूठे मन से क्या गाएँ

सब जन हुए दुखी, हंसी कैसे अब आए।
सबके हृदय बसी,उदासी ये कब जाए।।

कोरोना का आगमन, उदासी के मेघ लाए।
कारोबार हुऐ ठप, बेरोजगारी न भाए।।

भविष्य चौपट हुआ, अंधकार जब छाए।
हाथ मोबाइल लगा, भूले सब अब  हाए।।

खाना पीना हंसी खुशी, बिसरे हैं सब काज।
खेल कूद सब छूटा, रूठे मन से क्या गाएँ।।
***
कविता झा'काव्या कवि'
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®

# लेखनी हिंदी दिवस 

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6 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Kavita Jha

25-Sep-2022 07:14 PM

आभार आदरणीय 🙏

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Achha likha hai

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Raziya bano

20-Sep-2022 09:05 PM

Nice

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